शुभांशु शुक्ला: Axiom-4 मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री की ऐतिहासिक यात्रा
गुरुग्राम निवासी और भारतीय वायुसेना के समूह कप्तान शुभांशु शुक्ला ने आज फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से संचालित SpaceX Falcon 9 रॉकेट के द्वारा Axiom‑4 मिशन के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर प्रस्थान किया। पिछले 41 वर्षो में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे. उनसे पहले राकेश शर्मा Soviet यूनियन के Salyut-7 स्पेस स्टेशन पर 1984 में गए थे |
भारत में उत्सव और गर्व
लॉन्च के तुरंत बाद, उन्होंने डैगन अंतरिक्ष कैप्सूल से देशवासियों को हिंदी में भावुक संदेश दिया और कहा:
“नमस्कार मेरे देशवासियों, 41 वर्षों बाद हम फिर अंतरिक्ष में लौटे हैं…”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा:
“शुभांशु शुक्ला 1.4 अरब भारतीयों की आशा के साथ अंतरिक्ष की यात्रा कर रहे हैं”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस ऐतिहासिक पल को “भारत के लिए गर्व का क्षण” बताया ।
NDTV के अनुसार, शुभांशु की माता आशा शुक्ला और परिवार अत्यधिक भावुकता के साथ इस क्षण का साक्षी बने थे

Axiom-4 मिशन की रूपरेखा और महत्व
Axiom‑4 मिशन में चार अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों का दल शामिल है, जिसमें मिशन कमांडर पेग्गी व्हिट्सन (अमेरिका), मिशन विशेषज्ञ स्लावोष उज़नान्स्की (पोलैंड), टिबोर कापु (हंगरी) और शुभांशु शुक्ला हैं | मिशन की अवधि लगभग 14–21 दिन अनुमानित है और इस दौरान वे कुल 60 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें से 7 प्रयोग भारत में विकसित हैं ।
इस मिशन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
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- यह मिशन यांत्रिक रूप से ISRO के Gaganyaan मिशन की तैयारी में भी महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा |
- शुभांशु शुक्ला का चयन ISRO के पहले “व्योमयानॉट” समूह में हुआ था, और वे पूर्व में Gaganyaan मिशन के उम्मीदवार भी रहे ।
- मिशन प्रतीक चिन्ह को भारतीय डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने तैयार किया है, जिसमें भारत की वैज्ञानिक और सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक सम्मिलित हैं ।
- एक भावुक क्षण यह भी था जब शुभांशु ने अपने साथ एक सफेद स्वान खिलौना “Joy” ले जाने का निर्णय लिया, जिसे एक सांस्कृतिक प्रतीक माना जा रहा है
अगला चरण
ISS पर शुभांशु शुक्ला विज्ञान, Earth observation, तथा सामग्री विज्ञान के क्षेत्र में प्रयोग करेंगे, और भारत में Gaganyaan के लिए अनुभव लेंगे | यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में आत्मविश्वास और महत्वाकांक्षा की नई परिभाषा भी स्थापित करता है। 2027 में ISRO का अपना मानवयुक्त मिशन Gaganyaan होने की संभावना है, और शुभांशु की भूमिका उसके लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है ।